उच्च रक्तचाप, जिसे आम बोलचाल में हाई ब्लड प्रेशर कहा जाता है, आज के समय की एक गंभीर लेकिन बहुत आम स्वास्थ्य समस्या बन चुकी है। इस स्थिति में खून का दबाव हमारी धमनियों यानी नसों की दीवारों पर लगातार सामान्य से ज्यादा बना रहता है। समस्या यह है कि अधिकतर लोगों को इसका पता ही नहीं चलता, क्योंकि लंबे समय तक इसके कोई साफ लक्षण दिखाई नहीं देते। व्यक्ति रोज़मर्रा का जीवन सामान्य तरीके से जीता रहता है, लेकिन अंदर ही अंदर शरीर के अहम अंगों पर दबाव बढ़ता रहता है। इसी वजह से डॉक्टर उच्च रक्तचाप को “साइलेंट किलर” कहते हैं। अगर समय रहते इसकी पहचान और देखभाल न की जाए, तो यह दिल का दौरा, स्ट्रोक, किडनी खराब होना और आंखों की रोशनी कम होने जैसी गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है।
ब्लड प्रेशर कैसे काम करता है?
हमारे शरीर में दिल एक पंप की तरह काम करता है, जो खून को पूरे शरीर में पहुंचाता है। जब दिल सिकुड़कर खून को बाहर की ओर भेजता है, उस समय धमनियों पर जो दबाव पड़ता है, उसे ऊपर वाला ब्लड प्रेशर कहा जाता है। वहीं जब दिल धड़कनों के बीच थोड़ी देर के लिए आराम करता है, तब भी नसों में जो दबाव बना रहता है, उसे नीचे वाला ब्लड प्रेशर कहते हैं। डॉक्टर इन दोनों संख्याओं को देखकर यह समझते हैं कि दिल और नसें सही तरीके से काम कर रही हैं या उन पर जरूरत से ज्यादा दबाव पड़ रहा है।
सामान्य और बढ़ा हुआ ब्लड प्रेशर क्या माना जाता है?
आमतौर पर 120/80 को सामान्य ब्लड प्रेशर माना जाता है। इसका मतलब है कि दिल और नसें बिना ज्यादा मेहनत किए खून का संचार कर रही हैं। जब ऊपर की संख्या 130 या उससे ज्यादा और नीचे की संख्या 80 या उससे ज्यादा हो जाती है, तो इसे उच्च रक्तचाप की श्रेणी में रखा जाता है। अलग-अलग देशों में इसके आंकड़ों की सीमा थोड़ी बदल सकती है, लेकिन खतरा हर जगह लगभग एक जैसा ही होता है।
उच्च रक्तचाप कितना आम है?
आज उच्च रक्तचाप केवल किसी एक देश या क्षेत्र की समस्या नहीं रह गई है, बल्कि यह पूरी दुनिया की एक बड़ी स्वास्थ्य चुनौती बन चुका है। हाल के WHO के आंकड़ों के अनुसार, साल 2024 में दुनिया भर में 30 से 79 वर्ष की उम्र के लगभग 1.4 अरब लोग उच्च रक्तचाप से पीड़ित पाए गए। इसका मतलब है कि इस उम्र के हर तीन में से एक व्यक्ति का ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ है। इनमें से करीब दो-तिहाई लोग निम्न और मध्यम आय वाले देशों में रहते हैं, जहां स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंच सीमित हो सकती है।
सबसे चिंता की बात यह है कि करोड़ों लोगों को यह तक नहीं पता कि वे इस समस्या से ग्रसित हैं। अनुमान है कि करीब 60 करोड़ से ज्यादा वयस्क ऐसे हैं जिनका ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ है, लेकिन उन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं है। वहीं कई लोग इलाज तो करा रहे हैं, लेकिन फिर भी उनका ब्लड प्रेशर पूरी तरह नियंत्रण में नहीं रहता। यही कारण है कि उच्च रक्तचाप को दुनिया भर में समय से पहले होने वाली मौतों का एक प्रमुख कारण माना जाता है।
उच्च रक्तचाप के मुख्य प्रकार:
उच्च रक्तचाप को उसके कारणों के आधार पर दो मुख्य भागों में समझा जा सकता है। पहला प्रकार वह है जिसमें कोई एक साफ कारण सामने नहीं आता। यह धीरे-धीरे विकसित होता है और अक्सर उम्र बढ़ने, पारिवारिक इतिहास, तनाव और गलत जीवनशैली से जुड़ा होता है। दूसरा प्रकार किसी खास वजह से होता है, जैसे किडनी की बीमारी, हार्मोन से जुड़ी समस्या या कुछ दवाओं का लंबे समय तक सेवन। ऐसे मामलों में जब मूल कारण का सही इलाज किया जाता है, तो ब्लड प्रेशर भी काफी हद तक सामान्य हो सकता है।
कुछ विशेष परिस्थितियों में बढ़ा हुआ ब्लड प्रेशर-
कुछ लोगों में ब्लड प्रेशर खास परिस्थितियों में बढ़ता है। उदाहरण के लिए, कुछ लोग घर पर जांच करने पर सामान्य रीडिंग पाते हैं, लेकिन डॉक्टर के पास जाते ही उनका ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। ऐसा अक्सर घबराहट या तनाव की वजह से होता है। इसके उलट, कुछ लोगों का ब्लड प्रेशर घर पर ज्यादा और अस्पताल में सामान्य दिखता है। इसके अलावा, कुछ मामलों में रात के समय सोते हुए भी ब्लड प्रेशर बढ़ा रहता है, जो भविष्य में हृदय से जुड़ी समस्याओं का संकेत हो सकता है।
उच्च रक्तचाप के लक्षण क्यों नजर नहीं आते?
उच्च रक्तचाप की सबसे खतरनाक बात यही है कि यह लंबे समय तक बिना किसी लक्षण के बना रह सकता है। व्यक्ति खुद को पूरी तरह स्वस्थ महसूस करता है, लेकिन अंदर ही अंदर नसें सख्त होती जाती हैं और दिल को खून पंप करने के लिए ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। जब ब्लड प्रेशर बहुत ज्यादा बढ़ जाता है, तब सिर दर्द, चक्कर आना, सीने में दर्द, सांस फूलना, आंखों से धुंधला दिखना या अचानक कमजोरी जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं। ऐसी स्थिति में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना बेहद जरूरी होता है।
उच्च रक्तचाप होने के कारण:
अधिकांश मामलों में उच्च रक्तचाप किसी एक वजह से नहीं होता, बल्कि कई कारण मिलकर इसका खतरा बढ़ाते हैं। ज्यादा नमक और तला-भुना खाना, शारीरिक गतिविधि की कमी, मोटापा, मानसिक तनाव, धूम्रपान और शराब का सेवन इसके प्रमुख कारणों में शामिल हैं। इसके अलावा, बढ़ती उम्र और परिवार में पहले से इस बीमारी का होना भी जोखिम को बढ़ा देता है। कुछ बीमारियां और दवाएं भी ब्लड प्रेशर बढ़ाने में भूमिका निभा सकती हैं।
इलाज न करने पर होने वाली समस्याएं-
अगर उच्च रक्तचाप को लंबे समय तक नजरअंदाज किया जाए, तो यह शरीर के कई अंगों को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है। दिल पर लगातार दबाव पड़ने से दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ जाता है। दिमाग की नसों पर असर पड़ने से स्ट्रोक हो सकता है। किडनी की कार्यक्षमता धीरे-धीरे कम हो सकती है और आंखों की नसों को नुकसान पहुंचने से देखने की क्षमता प्रभावित हो सकती है।
उच्च रक्तचाप की जांच कैसे की जाती है?
उच्च रक्तचाप की पहचान के लिए नियमित ब्लड प्रेशर जांच सबसे जरूरी है। डॉक्टर अलग-अलग समय पर ली गई रीडिंग के आधार पर यह तय करते हैं कि ब्लड प्रेशर सामान्य है या नहीं। कई बार घर पर ब्लड प्रेशर मापने की सलाह भी दी जाती है, ताकि रोज़मर्रा की स्थिति में वास्तविक आंकड़े सामने आ सकें।
उच्च रक्तचाप के स्तर और उनकी गंभीरता-
उच्च रक्तचाप को अलग-अलग स्तरों में बांटा जाता है, जिससे यह समझने में आसानी होती है कि स्थिति कितनी गंभीर है। शुरुआती स्तर पर केवल जीवनशैली में बदलाव से काफी सुधार आ सकता है। लेकिन जब ब्लड प्रेशर बहुत ज्यादा बढ़ जाता है, तब दवाओं की जरूरत पड़ती है। अत्यधिक बढ़ा हुआ ब्लड प्रेशर एक आपात स्थिति हो सकता है, जिसमें तुरंत इलाज जरूरी होता है।
उच्च रक्तचाप का इलाज और नियंत्रण:
उच्च रक्तचाप के इलाज में दवाओं के साथ-साथ जीवनशैली में सुधार सबसे अहम भूमिका निभाता है। डॉक्टर मरीज की उम्र, अन्य बीमारियों और ब्लड प्रेशर के स्तर को देखकर दवाएं तय करते हैं। इसके साथ संतुलित आहार लेना, नमक की मात्रा कम करना, रोज़ाना टहलना या हल्का व्यायाम करना, वजन नियंत्रित रखना और तनाव से बचना बहुत जरूरी होता है।
जीवनशैली में बदलाव क्यों जरूरी हैं?
अगर केवल दवाओं पर निर्भर रहा जाए और जीवनशैली में बदलाव न किया जाए, तो लंबे समय तक ब्लड प्रेशर को काबू में रखना मुश्किल हो जाता है। अच्छी आदतें अपनाने से न सिर्फ दवाओं का असर बेहतर होता है, बल्कि शरीर भी अंदर से मजबूत बनता है और अन्य बीमारियों का खतरा भी कम होता है।
डॉक्टर से कब संपर्क करना चाहिए?
भले ही आपको कोई परेशानी महसूस न हो, फिर भी साल में कम से कम एक बार ब्लड प्रेशर जरूर जांचना चाहिए। अगर बार-बार रीडिंग ज्यादा आए, अचानक ब्लड प्रेशर बहुत बढ़ जाए या गर्भावस्था के दौरान ब्लड प्रेशर बढ़े, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है।
निष्कर्ष
उच्च रक्तचाप एक आम लेकिन बेहद गंभीर समस्या है, जिसे नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है। सही जानकारी, समय पर जांच और स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर इसे काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। थोड़ी सी सावधानी और जागरूकता आपको बड़ी बीमारियों से बचा सकती है और लंबे समय तक स्वस्थ जीवन जीने में मदद कर सकती है।
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