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मधुमेह (Diabetes) क्या है? कारण, लक्षण, प्रकार, जांच, इलाज और WHO के ताज़ा आंकड़े।

मधुमेह क्या है?

मधुमेह, जिसे आम भाषा में डायबिटीज कहा जाता है, एक ऐसी स्थिति है जिसमें हमारे खून में शर्करा यानी ग्लूकोज का स्तर जरूरत से ज्यादा बढ़ जाता है। ग्लूकोज हमारे शरीर के लिए ऊर्जा का मुख्य स्रोत है, लेकिन जब यह सही मात्रा में कोशिकाओं तक नहीं पहुंच पाता, तब समस्या पैदा होती है। यह बीमारी बच्चों, युवाओं और बुजुर्गों – सभी को हो सकती है। मधुमेह अक्सर लंबे समय तक रहने वाली बीमारी होती है, लेकिन सही इलाज और जीवनशैली अपनाकर इसे नियंत्रित किया जा सकता है और सामान्य जीवन जिया जा सकता है।

शरीर में शर्करा और इंसुलिन की भूमिका:

हम जो खाना खाते हैं, खासकर चावल, रोटी, आलू, फल और मीठी चीजें, उनसे शरीर को ग्लूकोज मिलता है। यही ग्लूकोज हमें चलने‑फिरने, सोचने और काम करने की ताकत देता है। खून के जरिए यह ग्लूकोज शरीर की हर कोशिका तक पहुंचता है। लेकिन कोशिकाओं के अंदर जाने के लिए ग्लूकोज को एक “चाबी” की जरूरत होती है, जिसे इंसुलिन कहते हैं। इंसुलिन एक हार्मोन है, जो अग्न्याशय (पैंक्रियास) बनाता है। अगर शरीर में इंसुलिन कम बनता है या सही तरह से काम नहीं करता, तो ग्लूकोज खून में ही जमा होने लगता है और ब्लड शुगर बढ़ जाती है।

लगातार बढ़ी हुई शुगर क्यों खतरनाक है?

अगर लंबे समय तक खून में शर्करा का स्तर ज्यादा बना रहे, तो यह धीरे‑धीरे शरीर के कई अंगों को नुकसान पहुंचा सकता है। दिल की बीमारी, नसों में कमजोरी, आंखों की रोशनी कम होना और किडनी से जुड़ी समस्याएं इसी का नतीजा हो सकती हैं। इसलिए मधुमेह को हल्के में लेना खतरनाक साबित हो सकता है।

मधुमेह कितने प्रकार का होता है?

मधुमेह के कई प्रकार होते हैं, लेकिन कुछ प्रकार ज्यादा आम हैं:

1.टाइप 2 मधुमेह: यह मधुमेह का सबसे सामान्य प्रकार है। इसमें शरीर या तो पर्याप्त इंसुलिन नहीं बनाता या फिर इंसुलिन का सही इस्तेमाल नहीं कर पाता। यह अधिकतर वयस्कों में पाया जाता है, लेकिन आजकल गलत खान‑पान और कम शारीरिक गतिविधि की वजह से बच्चों में भी दिखने लगा है।

2.प्रीडायबिटीज: यह टाइप 2 मधुमेह से पहले की अवस्था होती है। इसमें ब्लड शुगर सामान्य से ज्यादा होती है, लेकिन इतनी नहीं कि डायबिटीज कहा जाए। इस स्टेज पर जीवनशैली सुधार ली जाए, तो मधुमेह से बचा जा सकता है।

3.टाइप 1 मधुमेह: यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं को नष्ट कर देती है। इसमें शरीर बिल्कुल या लगभग इंसुलिन बनाना बंद कर देता है। यह आमतौर पर बच्चों और युवाओं में पाया जाता है और इसमें इंसुलिन लेना जरूरी होता है।

4.गर्भावधि मधुमेह: कुछ महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान ब्लड शुगर बढ़ जाती है। आमतौर पर यह डिलीवरी के बाद ठीक हो जाती है, लेकिन ऐसी महिलाओं को आगे चलकर टाइप 2 मधुमेह का खतरा ज्यादा रहता है।

5.अन्य दुर्लभ प्रकार: कुछ विशेष परिस्थितियों में भी मधुमेह हो सकता है, जैसे अग्न्याशय को नुकसान, आनुवंशिक कारण या कुछ हार्मोनल समस्याओं के कारण। ये प्रकार कम देखने को मिलते हैं, लेकिन सही जांच और इलाज जरूरी होता है।

मधुमेह कितना आम है? (WHO के अनुसार)

मधुमेह आज दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली दीर्घकालिक बीमारियों में से एक बन चुका है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 1990 में जहां दुनिया भर में लगभग 20 करोड़ लोग मधुमेह से पीड़ित थे, वहीं 2022 तक यह संख्या बढ़कर करीब 83 करोड़ तक पहुंच गई। यह बढ़ोतरी साफ दिखाती है कि बीते कुछ दशकों में मधुमेह कितनी तेजी से फैला है।

WHO के अनुसार, निम्न और मध्यम आय वाले देशों में मधुमेह का प्रसार उच्च आय वाले देशों की तुलना में कहीं अधिक तेज़ी से बढ़ रहा है। इसकी बड़ी वजहें शहरीकरण, शारीरिक गतिविधि में कमी, असंतुलित आहार और स्वास्थ्य सेवाओं तक सीमित पहुंच मानी जाती हैं।

मधुमेह का इलाज न मिल पाना एक बड़ी समस्या-

मधुमेह से पीड़ित लोगों के लिए समय पर इलाज और दवाएं मिलना बेहद जरूरी होता है, लेकिन WHO के अनुसार 2022 में आधे से अधिक मरीज अपनी मधुमेह की दवा नियमित रूप से नहीं ले पा रहे थे। इसका सबसे ज्यादा असर निम्न और मध्यम आय वाले देशों में देखा गया, जहां स्वास्थ्य सेवाओं, दवाओं और जांच सुविधाओं तक पहुंच सीमित है।

जब मधुमेह का इलाज समय पर नहीं मिलता, तो रक्त शर्करा लंबे समय तक बढ़ी रहती है। इससे शरीर की नसों और रक्त वाहिकाओं को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचता है। कई बार मरीज को तब तक पता ही नहीं चलता जब तक कोई गंभीर जटिलता सामने न आ जाए। इसलिए इलाज की कमी को मधुमेह से जुड़ी सबसे बड़ी वैश्विक चुनौतियों में से एक माना जाता है।

मधुमेह के लक्षण:

मधुमेह के लक्षण हर व्यक्ति में अलग‑अलग हो सकते हैं। आमतौर पर दिखाई देने वाले लक्षण हैं:

  • बार‑बार प्यास लगना
  • ज्यादा पेशाब आना
  • जल्दी थकान महसूस होना
  • आंखों से धुंधला दिखना
  • बिना वजह वजन कम होना
  • हाथ‑पैरों में झुनझुनी या सुन्नपन
  • घाव या चोट का देर से ठीक होना

कुछ लोगों में, खासकर टाइप 2 मधुमेह में, शुरुआत में कोई साफ लक्षण नहीं दिखते। इसलिए नियमित जांच बहुत जरूरी होती है।

मधुमेह होने के मुख्य कारण:

मधुमेह होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। टाइप 2 मधुमेह में मोटापा, कम शारीरिक गतिविधि, ज्यादा मीठा और तला‑भुना खाना, तनाव और पारिवारिक इतिहास बड़ी भूमिका निभाते हैं। टाइप 1 मधुमेह में शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली का गड़बड़ हो जाना मुख्य कारण होता है। गर्भावधि मधुमेह हार्मोनल बदलावों की वजह से होता है।

मधुमेह की जांच कैसे होती है?

मधुमेह का सही समय पर पता लगाने के लिए खून की जांच सबसे भरोसेमंद तरीका मानी जाती है। डॉक्टर आमतौर पर एक ही रिपोर्ट के आधार पर फैसला नहीं करते, बल्कि अलग‑अलग तरह के टेस्ट देखकर यह तय करते हैं कि व्यक्ति को मधुमेह है या नहीं। सबसे पहले खाली पेट ब्लड शुगर की जांच की जाती है। इसमें सुबह बिना कुछ खाए खून की जांच होती है, जिससे यह पता चलता है कि शरीर रातभर में शुगर को कितना नियंत्रित कर पा रहा है। इसके बाद खाने के 2 घंटे बाद की ब्लड शुगर जांच की जाती है, जिससे यह समझ में आता है कि भोजन के बाद शरीर शुगर को कैसे संभाल रहा है।

इसके अलावा HbA1c टेस्ट बहुत महत्वपूर्ण होता है। यह जांच पिछले 2 से 3 महीनों के औसत ब्लड शुगर स्तर की जानकारी देती है। इसका फायदा यह है कि इससे रोज‑रोज की उतार‑चढ़ाव वाली शुगर नहीं, बल्कि लंबे समय की स्थिति सामने आती है। इन्हीं जांचों के आधार पर डॉक्टर मधुमेह की पुष्टि करते हैं और इलाज की दिशा तय करते हैं।

1.मधुमेह का इलाज और नियंत्रण

मधुमेह का इलाज केवल दवाएं लेने तक सीमित नहीं होता, बल्कि यह एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है, जिसमें जीवनशैली की अहम भूमिका होती है। सही इलाज और नियंत्रण से मधुमेह के साथ भी सामान्य और स्वस्थ जीवन जिया जा सकता है।

2.ब्लड शुगर की नियमित जांच

नियमित रूप से ब्लड शुगर जांचने से यह पता चलता रहता है कि शुगर नियंत्रण में है या नहीं। इससे मरीज और डॉक्टर दोनों को यह समझने में मदद मिलती है कि मौजूदा दवाएं, खान‑पान और दिनचर्या सही काम कर रही हैं या उनमें बदलाव की जरूरत है।

3.दवाएं और इंसुलिन 

कुछ मरीजों में शुरुआत में केवल गोलियों से ही शुगर नियंत्रित हो जाती है। वहीं टाइप 1 मधुमेह और कुछ टाइप 2 मामलों में इंसुलिन की जरूरत पड़ती है। इंसुलिन शरीर में उस हार्मोन की कमी को पूरा करता है, जो ब्लड शुगर को नियंत्रित करता है। डॉक्टर मरीज की उम्र, शुगर लेवल और अन्य बीमारियों को देखकर इलाज तय करते हैं।

4.सही खान‑पान

संतुलित और समझदारी भरा आहार मधुमेह नियंत्रण की सबसे मजबूत नींव है। ज्यादा मीठा, प्रोसेस्ड फूड और तला‑भुना भोजन शुगर तेजी से बढ़ा सकता है। इसके बजाय हरी सब्जियां, फल सीमित मात्रा में, साबुत अनाज, दालें और पर्याप्त प्रोटीन को रोज़ के भोजन में शामिल करना चाहिए। सही खान‑पान से दवाओं का असर भी बेहतर होता है।

5.नियमित व्यायाम

नियमित शारीरिक गतिविधि शरीर को इंसुलिन का बेहतर उपयोग करना सिखाती है। रोज़ाना 30 मिनट की तेज चाल से पैदल चलना, योग या हल्का व्यायाम ब्लड शुगर को नियंत्रित रखने में मदद करता है। साथ ही इससे वजन संतुलित रहता है और दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा भी कम होता है।

मधुमेह की जटिलताएं (WHO तथ्य)

मधुमेह की सबसे बड़ी समस्या इसकी जटिलताएं हैं, जो धीरे-धीरे शरीर के कई अंगों को प्रभावित करती हैं। WHO के अनुसार, लंबे समय तक अनियंत्रित मधुमेह से आंखों की रोशनी कम हो सकती है और यहां तक कि अंधापन भी हो सकता है। गुर्दों पर असर पड़ने से किडनी फेल होने का खतरा बढ़ जाता है, जिससे मरीज को डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ सकती है।

इसके अलावा, मधुमेह हृदय और रक्त वाहिकाओं को भी गंभीर नुकसान पहुंचाता है। इससे दिल का दौरा और स्ट्रोक का जोखिम कई गुना बढ़ जाता है। कुछ गंभीर मामलों में पैरों में रक्त संचार कम होने लगता है, जिसके कारण निचले अंगों का विच्छेदन तक करना पड़ सकता है। WHO के आंकड़े बताते हैं कि 2021 में मधुमेह और इससे जुड़ी बीमारियों के कारण 20 लाख से अधिक मौतें हुईं, जो इसकी गंभीरता को साफ दर्शाता है। गंभीर मामलों में अचानक शुगर बहुत बढ़ना या बहुत कम होना जानलेवा भी हो सकता है।

मधुमेह के साथ स्वस्थ जीवन

मधुमेह का मतलब यह नहीं कि आप सामान्य जीवन नहीं जी सकते। सही जानकारी, नियमित जांच, डॉक्टर की सलाह और स्वस्थ आदतों के साथ आप लंबे समय तक सक्रिय और स्वस्थ रह सकते हैं। परिवार का सहयोग और सकारात्मक सोच भी इसमें बहुत मदद करती है।

निष्कर्ष

मधुमेह केवल एक सामान्य शुगर की बीमारी नहीं है, बल्कि यह एक गंभीर और दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्या है, जो पूरे शरीर को प्रभावित कर सकती है। WHO के आंकड़े यह स्पष्ट करते हैं कि बीते कुछ दशकों में मधुमेह के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है और आने वाले समय में यह चुनौती और बड़ी हो सकती है।

हालांकि, सही समय पर जांच, संतुलित आहार, नियमित शारीरिक गतिविधि, स्वस्थ वजन बनाए रखना और जरूरत पड़ने पर दवाओं का सही उपयोग करके मधुमेह को नियंत्रित किया जा सकता है। जागरूकता और अनुशासन अपनाकर न केवल जटिलताओं से बचा जा सकता है, बल्कि एक लंबा, सक्रिय और स्वस्थ जीवन भी जिया जा सकता है।


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