आज की तेज़ रफ्तार ज़िंदगी में मानसिक तनाव एक आम समस्या बन चुकी है। काम का दबाव, आर्थिक चिंता, रिश्तों की उलझनें और भविष्य की अनिश्चितता कई बार हमारे मन को इतना परेशान कर देती हैं कि डर और बेचैनी लगातार बनी रहती है। जब यही डर और बेचैनी बिना वजह, बार-बार और लंबे समय तक महसूस होने लगे, तो उसे एंग्ज़ायटी कहा जाता है।
एंग्ज़ायटी कोई छोटी समस्या नहीं है, बल्कि यह मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी एक गंभीर स्थिति हो सकती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, चिंता से जुड़े विकार दुनिया में सबसे आम मानसिक समस्याओं में से एक हैं। साल 2021 में दुनियाभर में लगभग 35 करोड़ 90 लाख लोग किसी न किसी प्रकार की एंग्ज़ायटी से प्रभावित थे। अगर समय रहते इसे समझा और संभाला न जाए, तो यह व्यक्ति की दिन-प्रतिदिन की ज़िंदगी, काम करने की क्षमता और रिश्तों को बुरी तरह प्रभावित कर सकती है।
एंग्ज़ायटी की वास्तविक परिभाषा
एंग्ज़ायटी मन की वह स्थिति है जिसमें व्यक्ति को लगातार डर, घबराहट, बेचैनी या अनजाना खतरा महसूस होता रहता है। सामान्य चिंता हर इंसान को होती है, जैसे परीक्षा से पहले या किसी बड़े फैसले के समय, लेकिन एंग्ज़ायटी में यह चिंता जरूरत से ज़्यादा, बिना किसी ठोस कारण के और लंबे समय तक बनी रहती है।
WHO के अनुसार, एंग्ज़ायटी विकारों में डर और चिंता इतनी तीव्र हो सकती है कि व्यक्ति के लिए इन्हें नियंत्रित करना मुश्किल हो जाता है। यही कारण है कि यह समस्या व्यक्ति के पारिवारिक, सामाजिक, पढ़ाई और कामकाजी जीवन पर सीधा असर डालती है। कई मामलों में इसके लक्षण बचपन या किशोरावस्था में ही शुरू हो जाते हैं, लेकिन समय पर पहचान न होने के कारण यह समस्या लंबे समय तक बनी रह सकती है।
एंग्ज़ायटी के दौरान शरीर और मन में क्या बदलाव होते हैं?
एंग्ज़ायटी का असर सिर्फ़ दिमाग तक सीमित नहीं रहता, बल्कि इसका प्रभाव शरीर पर भी साफ़ दिखाई देता है। अलग-अलग लोगों में इसके लक्षण अलग हो सकते हैं, लेकिन आमतौर पर इसमें व्यक्ति को अंदर ही अंदर लगातार घबराहट महसूस होती रहती है।
कई लोगों को हर समय यह लगता रहता है कि कुछ बुरा होने वाला है, जबकि वास्तविकता में कोई खतरा मौजूद नहीं होता। दिल तेज़ धड़कने लगता है, सांस लेने में परेशानी होती है और शरीर में अजीब-सी बेचैनी बनी रहती है। WHO के अनुसार, एंग्ज़ायटी में शारीरिक तनाव और व्यवहार में बदलाव भी आम हैं, जिससे व्यक्ति और अधिक डर और चिंता में चला जाता है।
एंग्ज़ायटी के मानसिक और शारीरिक संकेत
एंग्ज़ायटी के लक्षण मानसिक और शारीरिक दोनों रूपों में दिखाई देते हैं। मानसिक रूप से व्यक्ति को बार-बार नकारात्मक विचार आते हैं, ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई होती है और हर समय डर या बेचैनी बनी रहती है। उसे छोटी-छोटी बातों पर भी बहुत ज़्यादा तनाव होने लगता है।
शारीरिक रूप से दिल की धड़कन तेज़ होना, पसीना आना, हाथ-पैर कांपना, सिर दर्द, पेट खराब होना, मतली, सीने में जकड़न और नींद न आना जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं। कई लोग बिना किसी शारीरिक मेहनत के भी खुद को बहुत थका हुआ महसूस करते हैं, जो एंग्ज़ायटी का एक आम संकेत माना जाता है।
एंग्ज़ायटी के अलग-अलग रूप
एंग्ज़ायटी सिर्फ़ एक तरह की नहीं होती, बल्कि इसके कई प्रकार होते हैं, जो अलग-अलग परिस्थितियों में सामने आते हैं। WHO के अनुसार, सभी एंग्ज़ायटी विकारों में डर और चिंता की तीव्रता अलग-अलग हो सकती है, लेकिन असर लगभग एक जैसा ही होता है।
1.जनरल एंग्ज़ायटी डिसऑर्डर: इस स्थिति में व्यक्ति को रोज़मर्रा की छोटी-छोटी बातों को लेकर भी बहुत ज़्यादा चिंता होती है। पैसा, सेहत, परिवार, नौकरी या भविष्य को लेकर दिमाग लगातार परेशान रहता है। यह चिंता महीनों या सालों तक बनी रह सकती है और व्यक्ति को मानसिक रूप से थका देती है।
2.पैनिक एंग्ज़ायटी: पैनिक एंग्ज़ायटी में अचानक तेज़ घबराहट का दौरा पड़ता है। व्यक्ति का दिल बहुत तेज़ धड़कने लगता है, सांस फूलने लगती है और उसे लगता है कि वह मर जाएगा या बेहोश हो जाएगा। कई बार यह अनुभव इतना डरावना होता है कि व्यक्ति दोबारा उसी स्थिति से गुजरने के डर में जीने लगता है।
3.सोशल एंग्ज़ायटी: सोशल एंग्ज़ायटी में व्यक्ति को लोगों के सामने जाने, बात करने या भीड़ में रहने से डर लगता है। उसे हमेशा यह चिंता रहती है कि लोग उसे जज करेंगे या उसका मज़ाक उड़ाएंगे। WHO के अनुसार, यह समस्या व्यक्ति की पढ़ाई, नौकरी और सामाजिक जीवन को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है।
4.फोबिया: किसी खास चीज़, जगह या स्थिति से अत्यधिक डर लगना फोबिया कहलाता है। जैसे ऊँचाई से डर, बंद जगह से डर या पानी से डर। यह डर इतना तीव्र हो सकता है कि व्यक्ति उस स्थिति से हर हाल में बचने की कोशिश करता है।
एंग्ज़ायटी बढ़ने के पीछे की मुख्य वजहें :
एंग्ज़ायटी के पीछे कई कारण हो सकते हैं। मानसिक तनाव, लंबे समय तक चिंता में रहना, बचपन का कोई डरावना अनुभव, पारिवारिक समस्याएँ और काम का अत्यधिक दबाव इसकी प्रमुख वजहें मानी जाती हैं।WHO के अनुसार, नींद की कमी, अत्यधिक मोबाइल और सोशल मीडिया का उपयोग, कैफीन का ज़्यादा सेवन और नशे की आदत भी एंग्ज़ायटी को बढ़ा सकती है। इसके अलावा, यह समस्या दिमाग के रासायनिक असंतुलन और पारिवारिक इतिहास से भी जुड़ी हो सकती है।
एंग्ज़ायटी और दिल की बीमारी में अंतर:
कई बार एंग्ज़ायटी के लक्षण दिल के दौरे जैसे लगते हैं, जिससे व्यक्ति और ज़्यादा घबरा जाता है। एंग्ज़ायटी में सीने में जकड़न, तेज़ धड़कन और सांस की दिक्कत होती है, लेकिन यह लक्षण कुछ समय बाद अपने आप कम हो जाते हैं। दिल के दौरे में दर्द लगातार बढ़ता है और आराम करने से भी ठीक नहीं होता। फिर भी, WHO की सलाह है कि अगर कभी भी सीने में तेज़ या असामान्य दर्द हो, तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना चाहिए।
एंग्ज़ायटी से राहत पाने के उपचार विकल्प।
एंग्ज़ायटी का इलाज संभव है और सही समय पर मदद लेने से व्यक्ति पूरी तरह सामान्य जीवन जी सकता है। WHO के अनुसार, एंग्ज़ायटी विकारों के लिए अत्यंत प्रभावी इलाज उपलब्ध हैं, जिनमें दवाएँ और थेरेपी शामिल हैं।
डॉक्टर व्यक्ति की स्थिति के अनुसार दवाएँ देते हैं, जो दिमाग को शांत करने और डर को कम करने में मदद करती हैं। इसके साथ-साथ काउंसलिंग और थेरेपी के ज़रिए व्यक्ति को अपने डर को समझने और उससे निपटने के तरीके सिखाए जाते हैं। इसके बावजूद, WHO के अनुसार केवल लगभग चार में से एक व्यक्ति ही समय पर इलाज प्राप्त कर पाता है, जिसका बड़ा कारण जागरूकता की कमी और सामाजिक कलंक है।
एंग्ज़ायटी में जीवनशैली की अहम भूमिका।
जीवनशैली में छोटे-छोटे बदलाव एंग्ज़ायटी को काफी हद तक नियंत्रित कर सकते हैं। रोज़ाना समय पर सोना, संतुलित भोजन करना और हल्का व्यायाम करना मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत ज़रूरी माना जाता है। योग, ध्यान और गहरी सांस लेने की आदत एंग्ज़ायटी में विशेष रूप से फायदेमंद मानी जाती है। WHO भी मानसिक स्वास्थ्य के लिए नियमित दिनचर्या और तनाव कम करने वाली गतिविधियों को अपनाने की सलाह देता है।
एंग्ज़ायटी को कंट्रोल में रखने के आसान उपाय।
एंग्ज़ायटी से बचने के लिए अपने मन की बात दबाकर न रखें। किसी भरोसेमंद व्यक्ति से बात करना और अपनी भावनाएँ साझा करना मानसिक बोझ को हल्का करता है। खुद के लिए समय निकालना, पसंदीदा काम करना और सकारात्मक सोच विकसित करना एंग्ज़ायटी से बचाव में मदद करता है। सोशल मीडिया और नकारात्मक खबरों से थोड़ी दूरी बनाना भी मन को शांत रखने में सहायक हो सकता है।
डॉक्टर से कब संपर्क करना चाहिए?
अगर घबराहट, डर या बेचैनी कई हफ्तों तक बनी रहे, नींद और रोज़मर्रा के काम प्रभावित होने लगें या पैनिक अटैक बार-बार आने लगे, तो डॉक्टर से संपर्क करना बेहद ज़रूरी है। WHO के अनुसार, एंग्ज़ायटी कोई कमजोरी नहीं बल्कि एक इलाज योग्य मानसिक स्वास्थ्य स्थिति है, और समय पर मदद लेना बिल्कुल सामान्य और सही कदम है।
निष्कर्ष
एंग्ज़ायटी आज के समय की एक आम लेकिन गंभीर मानसिक समस्या है, जो दुनियाभर में करोड़ों लोगों को प्रभावित कर रही है। इसे नज़रअंदाज़ करने के बजाय समझना और सही समय पर इलाज लेना बहुत ज़रूरी है। सही देखभाल, सकारात्मक सोच और डॉक्टर की सलाह से एंग्ज़ायटी को नियंत्रित किया जा सकता है और व्यक्ति एक स्वस्थ और खुशहाल जीवन जी सकता है।

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